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जैन जगती अतीत खण्ड 8
AccemRECE उस मौर्यपति२५२ भूपेन्द्र की तलवार में क्या तेज था ! क्या ग्रीस-सैन्याधीश२५३ से लेना सुता भी सहज था ? क्या कोटिभट श्रीपाल२५४ का बल जानता यह जगनहीं ? श्रीपालको वर कोटि भट भी जीत सकते थे नहीं ॥ २४४ ॥ राजर्षि उदयन२५५ को कहो इतिहास क्या नहीं जानता ? इसको नपोलिन कह रहा वह, कौन यह नहिं मानता ? सम्राट श्रेणिक२५६, नंदिवर्धन२५७, राष्ट्रपति चेटक२५८ अहो ! नृप चण्ड२५९ कैसे थे विजेता ? वीर थे कैसे कहो ? ॥ २४५ ॥ उस खारवेल २६० नृपेन्द्र की तलवार में क्या शक्ति थी? सम्राट मगधाधीश२६१ की क्या चल सकी कुछ शक्ति थी? कन्दर गुफायें आज भी ये ओरिसा २६२ की पेख लो; सम्राट के यश-कीर्ति की ये हैं पताका लेख लो ॥ ९४६ ॥ हम युद्ध में अरि से कभी अपधर्म से लड़ते न थे; बाहर सदा रणक्षेत्र के हम शत्र रिपु गिनते न थे। रिपु झक गया रण-क्षेत्र में यदि या पलायन कर गया; वह शत्रु से मिटकर हमारा बन्धु सब विध हो गया ।। २४७ ।।
वैश्य कुल के वीरउस तौरमाण २६ 3 महावली से युद्ध था हमने किया; उसको भगाकर देश से हमने कहीं था कल लिया। गिरते हुए इस काल में भी वीर, मानी हो गये; जो शेष रहते शौर्य का संक्षिप्त परिचय दे गये ॥२४८॥