________________
जैन जगती
अतीत खण्ड
ब्राह्मण-कलेवर की कहो काया-पलट किसने करी ? हिंसामयी थी वृत्ति उसकी वीर' २३ ने अपहृत करी। पाकर हमारा योग ये ब्राह्मण अभी तक जी सके; हो भिन्न हमसे बौद्ध जन कबके किधर को जा चुके ॥ १३६ ॥ व्याख्यान में ये मिश्र'२४ जी वेदान्त-चर्चा कर रहे; प्राचीनतम सबसे हमारे जैन-दर्शन कह रहे । व्याख्यान अपने में तिलक'२५सुन लीजिये क्या कह रहे; सबसे पुरातन जैन-दर्शन-शास्त्र ही बतला रहे ॥१४० ॥ गोविंद वरदा' २६कान्त के मन्तव्य भी तुम लेख लो; फिर कृष्ण २७ शर्मा आदि की भी मान्यताएँ पेख लो। गिरनार१२८, हर्टलजान्स' २९ के मन्तव्य भी तुम देखना; फिर आदि के संवत् विषय में ध्यान से अवलेखना ।। १४१ ।।
प्राचीनता को नष्ट जो भी हैं हमारी कर रहे; वे द्वेष या अज्ञानता से इस तरह हैं कर रहे। स्वाध्याय अरु सद्भाव वे ज्यों ज्यों बढ़ाते जायँगे; हम को अगाऊ पायेंगे, वे गुण हमारे गायँगे ।। १४२ ।।
श्रुति वेद हमको आज भी हैं पूर्वतम बतला रह; विद्वान, कोविद, वेदविद स्वीकार हम को कर रहे। ज्यों ज्यों अधिक भूगर्भ जन उत्कीर्ण करते जायँगे; षड्खएड में पद-चिह्न वे हर स्थल हमारे पायेंगे ॥१४३ ॥