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है. और उत्तमको सोवतसे उत्तमता प्राप्त होती है. क्यों देवनदी गंगाका शुद्ध मीठा पानीभी खारे समुद्रमें मिलजानेसें खारा नहि. होता है ? अवश्य होता है ! तैसेही अन्य अपवित्र स्थलसें आया हुवा पानी गंगाका पवित्र जलमें मिलनेसे कया गंगाजळके महास्पको प्राप्त महि करता है ? अलबत्त, वो गटरका जल हो तो भी गंग समागमसें गंगजलही हो जाता है ! ऐसा संगति महात्म्य समझकर याने मनुष्यको सर्वथा कुसंग छोडदेकर हर हमेशा सु
संगतिही करनी योग्य है; क्योंकि-' हानि कुसंग सुसंगति लाहु' . कुसंगतिमें हानी और सुसंगतिमें लाभ ही मिलता है !!
४० बालकसेंभी हित वचन अंगीकार करना.
रत्नादि सार वस्तुओंकी तरह हितवचन चाहे वहांसें अंगी___कार करना यही विवेकवतका लक्षन है. ज्ञानी पुरुष गुणोंकीही मुख्यता मानते है. अवस्थासें लधु होने परभी सद्गुण गरीष्ठकों गुरु मानते है, और क्योटद्धको गुणरि होनेसें बालकवत् मानते गिनते है. ऐसा समझकर विकी सज्जन गुणमात्र ग्रहण करनेकों सदैव आभमुख रहेते है.
४१ अन्यायसें निवर्तन होना. समबुद्धि धारण कर राग रोप छोडकर सर्वत्र निष्पक्षपात__ तासे वर्तना यही सद्बुद्धि प्राप्त होनेका उत्तम फल है, ऐसा सम'झकर सत्यपक्ष स्वीकारना सोही परमार्थ है. ऐसा वर्ताव चलाने
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