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___ कर बिलकुल कट्टे दुश्मन या हालाहल विष समान विषय कपाय
और विकथादि महान् प्रमादोंको पोपन करना वो कैसे कंटुफलोंकों देनमें समर्थ होगा ? पो बात जरा गौरसे शाहाने मनुष्यको शोचनी लायक है. समस्त पुन्यकी गठडी गुमाकर रीते हाथोंसे इस दुनियाँको छोड़कर चलाजाना ये कैसी और कितनी अधमता है ? गुणानुरागी मध्यस्थ सज्जन तो जैसी बेढंग भरी रीति स्वीकृत करें या अनुमोदें भी नहीं. वै तो श्री जिनराजजी के हुकमको अंतरंगसे अनुसरने पालेकोही सवत गिनते हैं, उन्हीके उप राग-प्रीतिभी धारन करते हैं. उन्हीकाही विशेष करके हित करनेकी प्रेरणा प्रेरित होते हैं. यावत् पूर्व पुण्यके योगस प्राप्त हुइ यह दुर्लभ साम‘ग्रीको सफल करनेके वास्ते यथाशति श्री जिनाज्ञाको अनुसरने के लिये लक्षवंत सज्जनोंकी तर्फ प्रीति वा संपूर्ण ममता रखते है. वैसे साधर्मी जन तर्फ पूर्ण प्रेमयाभक्ति भाव वैसे महाशयही रखते है. उनको अपने प्राणप्रीय मित्र या पान्धवके समान गिनते है. यावत से सलवंत विवेकी सज्जनोंकी खातिरके पस्त अपना सभी तन गन-धन-जीवन अर्पण कर देते हैं. प्रिय भ्राता और भगिनीओं ! आप सब शोच करोकि जिस धर्मकी खातिर सज्जन लोग इतनी बड़ी भारी खंत रखते हैं, स्वार्थकी आहूती देनेमें. कटिबद ' रहते है, यावत् अपने प्राणों की भी परवाह न रखते क्षण भरमें मरनेकों आतुर हो जाते हैं, उस पवित्र धर्मके गहरे रहस्य मा करने के વાસ્તે ગૌર વતી મુનવ ને સ્વનન્મ સહ મને વા વિ