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મુખશાહી પાંવેત્રમાઽ માનનીયાળી તરહ વિરાજ પર્યંત અરવડ શૉ-लादिक उत्तम गुणमणि रत्नोंका भंडार भरेही करो. तुमसे बनसके તને દુલપાતે દવે સાધાઁ માયોલોં મર્ તો, ઔર ઉન્હોં बहुतसी मदद देकर साधमीयोंका उद्धार करनेवाले सांप्रतिराजा, कुमारपाल भूपाल, विमलशाह वस्तुपाल तेजपाल और जगडुशाह वगैरः पूर्वमभाविक परमात श्रावकों के उत्तम सुकृत्योंकी अनुमोदना करके आप डाइ किये बिगर हमेशां आत्मलघुताकोही विचारमें लिये करो . हमेशां याद रख्खोके परानदा - आत्मप्रशंसा करनेहारा मनुष्य अपने किये हुवे सुकृतका फल गुमा बैठता है, और आत्मलघुता शोचनेहारा सत्पुरुष हमेशां - दिनप्रतिदिन गुणानुरागी होनेसें गुणाधिकता पाताही जाता है. कदाचित् कुछभी सुकृत करनेमें या किये वाद तुमको अपना उत्कर्ष - आपवडाइ हो आवे तो उसकों दूरकरनेके वास्ते अच्छा और सुगम मार्ग यही हैकि पूर्वपुरुष रलोके चरित्र सामने नजर करनी और ' जनमनरंजन धर्मकामूल न एक वादाम ' - बस यही बातकों हरदम याद किये करनी. पवित्र ધર્મમાનને અન્ય નોવોંરોં નોડ તેન વાસ્તે હના વિત્તરંગનેમેં તો गुणही है यौं शास्त्रकारोंका कथन है. चाहे वैसा उत्कृष्ट धर्म कोइभी श्रावक पालन करता होवे और उस्से कभी उसके दिलमें दूसरे श्रावकों की अपेक्षा अपनेमे अधिकताका भास नजर आवै . तोभी उत्तम महाव्रतोंकों कपट रहित अखंड पालनेहारे उत्तम मुनी महाराजाओंकों देखकर उनका मान दूर हो जाता है.