________________
चाहिये. न्याय नीतिसें द्रव्य उपार्जन, आमदनी मुजव खर्चा, उचित
आचरण, मात तातकी भति, लोग राज्यविरुद्ध वार्ताका त्याग, अभक्ष्य निषेध इत्यादि पाते तद्दन छोड देनी ही फायदेमंद है. हाँ तलक वरावर कपडा उजला साफ न हुवा होगा वहां तलक जसे उन कपडेपर अच्छा रंग न चढ़ सकेगा, वैसे व्यवहारविकलकों भी धर्मप्राप्ति हो नहीं सकती है. पाणे विनय, शिष्टाचार, कृतज्ञता, दयालुता, दाक्षिण्यता और परोपकार प्रमुख अनेक शुभ गुण सेवन कर ज्यौं बन सके त्यौ पहिले व्यवहारकी शुद्धिके लिये भयर करना.
उन्नीसवाँ रथयात्रा यानि रथके अंदर प्रभुजीकों विराजमान __ करके महोत्सव पूर्वक प्रभुकी भक्ति करते हुवे नगारेदिक पाजींत्र
गीत होते हुवे नगरमें परिभ्रमण करना उसद्वारा कममें कम दर सालमें एक दफै सुश्रावक जन कुमारपालकी तरह शासनोन्नति करै
पीशवा तीर्थयात्रा भी दर सालमें सुश्रावककों विषकपूर्वक · करनी चाहिये, और वहां मन वचन तन स्थिर रख श्री देवगुरु धर्म
संघ साधर्मीयाका विधि सहित पूजन-सेवन-भक्ति करके अपना समकित शुद्ध कर पूर्व पुण्यवलसें प्राप्त भइ हुइ सामग्री पस्तुपाल तेजपाल आदिकी तरह सफल कर लेनी. इस तीर्थयात्रा संबंधी सविस्तर हकीकत श्री तीर्थयात्रा दिग्दर्शन नामक निबंध थोडे परत के पेसर जैन धर्मप्रकाश' में प्रसिद्ध हुइ है. उनमेंसें इस विषय के संबंधवाली वापत पांचकर-विचारकर लक्षमें रखकर •