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पकारपरायण सजनवर्ग सत्य नीतिकी उंडी नीव डाल उसपर अति उमदा धर्म इमारत बांधकर उस्में कुटुंव सहित नित्य विलास करेंगे. और सम्यग् ज्ञान, दर्शन चारित्रका यथाशक्ति में आराधना कर अंतमें अविनाशी पद पाकर जन्म मरणादि दुःखोंका सर्वथाः नाश करेगा, और सर्वज्ञ-सर्वदशी होकर लोकालोकको हस्तामल-- कवत् देखेंगे-यावत् परम सिद्धिदायक परमात्मपद प्राप्त कर पूर्णानंद चिद्रूप हो रहगे.
इत्यलम.
प्रगाद पंचक परिहार.
" नास्ति प्रमाद परो वैरी-" प्रभादफे समान दूसरा कोई भी का दुश्मन नहीं है.
" नास्त्युधम समोबन्धुः-" सदुद्यम समान दूसरा कोइ सचा बंधु नहीं है. पांचों प्रमादक शास्त्रोक्त नाम.
[ आर्या छंद.]. मज विषय कषाया, निदा विगहाय पंचमी भाणिया; ए ए पंच पमाया, जीवं पाति संसार. .
( संबोधसित्तरी.)