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________________ विवाह सम्बन्ध जैनों व सनातन धर्मियों के परस्पर विवाह की पुष्टि के सम्बन्ध में 'कल्याण' के हिन्दू संस्कृति अंक पेज २७४ पर 'हिन्दूसंस्कृति और दर्शन-शास्त्र' शीर्षक लेख में सभी दर्शनों की व्याख्या की गई है, उसमें पेज २८० पर अहित (जैन)-दर्शन लेख के अन्त में लिखा गया है कि जैन-धर्म का साहित्य एवं दर्शन अत्यन्त विस्तृत है। इतिहासज्ञ इस धर्म को बौद्ध धर्म से प्राचीन मानते हैं और शास्त्र के अनुसार भी इसकी परम्परा भगवान ऋषभ से है। जैन धर्म सनातन धर्म से इतना कम अन्तर रखता है कि वैवाहिक सम्बन्धादि भी परस्पर होते रहे हैं और आज भी हो रहे हैं। साप्ताहिक दिनमान ३ जनवरी सन् १९७१ के नव वर्षांक में पृष्ठ ५ पर रामेश्वर महतो (संथाला परगना) लिखते हैंइस संदर्भ में हिन्दू मैरेज ऐक्ट १९५५ उल्लेखनीय है, हिन्दू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मावलम्बियों के साथ विवाह का उपबन्ध इसमें है। ___इसके पूर्व बम्बई में दो अधिनियम पारित हुए :-(१) हिन्दू मैरिज डिजेविलिटीज रिमूवल ऐक्ट (१९४६) जिसमें सगोत्र, सम्रवर और अन्तः उप-जातीय विवाहों को वैधता प्रदान की गई थी और (२) दी हिन्दू मैरिजेज वैलिडिटी ऐक्ट १९४६) जिसमें
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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