________________ ( 156 ) इनके द्वारा ही भावात्मक एकता बनी हुई है। ___ जैनों में भी वही आभूषण और उन्हीं अंगों में पहने जाते हैं जो समस्त भारतीय जाति व समाज के अंग हैं; जैसे सिर में वेदा, वौर (वीज) टीका, शीश फूल, क्लिप, गले में ठुस्सी, सतफूली, हार (नेकलिस), जंजीर, कन्ठा, कन्ठी; 'गुन्ज, कोप, हाथों में हथफूल, अंगूठी, चूड़ियां, ककना (गोखरू), पौंची, चूड़ा, पटेला बगड़ी, वाजूबन्द, भुजवन्द, कमर में कनकती, कन्दौरा, पैरों में विकूड़ी (विछिया), छल्ला टनका, नेवरी, आवला, कड़ी, तोड़ा, झांज, लच्छे, पायल, पायजेव आदि। ये भले ही चांदी व सोने के बने हों, भिन्न प्रकार के भी अपनी सूची के अनुसार बना कर पहने जाते हों, लेकिन इनसे भारतीयंता का दिग्दर्शन होता है / ये सब हिन्दुत्व की निशानी हैं। इन सवको पहनने वाले हिन्दू हैं, चाहे धर्म भले ही भिन्न-भिन्न हों।