________________
६
1
{ १५० } (३) कर्मवाद ( ४ ) क्रियावाद एवं ग्रात्मा के अस्तित्व के लिए छः बातें अनिवार्य हैं । (१) ग्रात्मा है । (२) पुनर्भव है (३) बंध है ( ४ ) बन्ध के हेतु हैं (५) मोक्ष हैं । (६) मोक्ष के हेतु है आचार्य दत्तात्रेय गणेश कस्तूरे ने भी प्रतिपादित कि वैदिक व जैन मत दोनों में कर्म, पुनर्जन्म तथा सिद्धान्तों को स्वीकार करते हैं । २
किया है मोक्ष के
मूलतः पुनर्जन्म पर भारतीय दर्शन के अन्तर्गत यहां के बड़ेबड़े दार्शनिकों, तत्व चिन्तकों, मनीषियों और तार्किकों ने बड़ी ही गम्भीरतापूर्वक मनन चिन्तन किया है । आस्तिक दर्शनों में पुनर्जन्म का सिद्धान्त निर्विवाद रूप में माना गया है । बौद्ध तथा जैन इसे डंके की चोट पर स्वीकार करते हैं । बौद्ध जातक में तो तथागत के पूर्व के हजारों जन्म की कथायें लिपिबद्ध हो चुकी हैं । न्यायदर्शन का तो यह एक प्रतिपाद्य सिद्धान्त रहा है । गीता जसी सर्वतन्त्र - सिद्धान्त एवं विश्व-सम्मान्य पुस्तक में भी पूर्व जन्म एवं पुनर्जन्म का उल्लेख है । 3
·
भारत के प्रार्य पुनर्जन्म के सिद्धान्त को अनादिकाल से मानते चले आये हैं । आप किसी साधारण से साधारण अपठित भारतीय से पूछिये, वह इस सिद्धान्त पर अपना अटल विश्वास प्रगट करेगा, यहां तक कि जैन और बौद्ध सम्प्रदाय भी इस
सिद्धान्त पर आस्था रखते हैं । वेद, पुराण, इतिहास सभी के पश्चात एक शरीर
यह प्रतिपादित को छोड़ कर
उपनिषद्, शास्त्र, स्मृति,
करते हैं कि ग्रात्मा मृत्यु दूसरे शरीर में इसी प्रकार
१- प्राचार्य तुलसी तीर्थंकर और सिद्ध-वही ग्रंक पृष्ठ ५५ २- माध्यमिक सम्पूर्ण इतिहास - पृष्ठ ४० भाग १
३ - श्री जर्नादन मिश्र ' पंकज - परलोक और पुनर्जन्मांक - कल्याण - पृष्ठ १६४-१६६