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( .१२६ ) पश्चिमी चालुक्य राजा प्रथम पुलकैशी, विजयादित्य व विक्रमादित्य बहुत प्रसिद्ध जैन राजा थे ।
४१.. कलचूरी वंश.का वज्जाल राजा तथा महेन्द्रवर्मन भी जैन माने गये हैं। . ४२.. जयसिंह के पुत्र - मूलराज ने गुजरात में अणहिल पाटन को अपनी राजधानी बनाया, यह जैन धर्म का अनुयायी था ।
४३. महाराज कुमारपाल ने जैन धर्म का बड़ी उत्कृष्टता से पालन किया और सारे गुजरात को एक आदर्श जैन-राज्य बनाया । .
४४. राठौर राजा अमोघ वर्ष मान्यखेट के राष्ट्रकूट (राठौर) राजा गोविन्द का तृतीय पुत्र था। इसी के . द्वारा लिखाया गया एक ताम्रपत्र मिला है, जिसमें जैन देवेन्द्र को दिये गये दान का उल्लेख है।
४५. इसके अतिरिक्त राजपूताने के राठौर वंशीय हरि वर्मा, विदग्ध राज, मम्मट धवल आदि भी मूलतः जैन अनुयायी हुए थे।
४६. जोधपुर के राजवंश में आयस्थानजी, घूहड़जी, रायपालजी, मोहनजी, भीमराजजी, रामचन्द्रजी आदि जैन धर्म के ही अनुयायी थे।
मौर्य वंश का सम्प्रति राजा बहुत प्रसिद्ध हुआ है। वह सम्भवतः कुणाल का सबसे छोटा पुत्र था । वह जैन धर्म का अनुयायी था । आर्य सुहस्ती ने उसे जैन धर्म में दीक्षित किया था । वह शत्रुन्जय तीर्थ का एक प्रधान उद्धारकर्ता था। वह त्रिखण्ड भारताधिप तथा अनार्य देशों में भी भ्रमण विहारों का प्रवर्तक महाराज था । उसके आदेश से जैन साधु अनार्य देशों में गये । इन सब से स्पष्ट है कि मौर्यकाल में संस्कृति का स्तर पर्याप्त अच्छा था ।' १-भगवत्दत्त : भारतीय संस्कृति का इतिहास-पृ० ८७
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