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( १२७ ) २२. पृथ्वीराज द्वितीय जैन धर्म के संरक्षक थे एवं उनके चाचा महाराज सोमेश्वर जैन धर्म के प्रेमी थे। - २३. शोलंकी नरेश अश्वराज तथा उनके पुत्र अल्हणदेव जिन भक्त थे।
२४. परिहार वंशी काक्कुक नरेश कीर्तिशाली तथा जैन धर्मावलम्बी थे।
२५. महाराज भोज के सेनापति कुलचन्द्र जैन थे।
२६. प्रतापी नरेश सिद्धराज, जयसिंह के मन्त्री मुज्जल और शांतु जैन थे।
२७. महाराज कुमारपाल अनेक युद्ध विजेता तथा जिन धर्म भक्त थे।
२८. राठौर नरेश सिद्धराज जैन थे। २६. मारवाड़ के नरेश विजयसिंह के सेनापति र्मराज जैन
थे।
३०. स्मिथ और कनिंगहम ने जिन वीर सुहलदेव को भी जैन माना है।
३१. खारवेल के शिलालेख से पता चलता है कि मगध का राजा नन्द कलिंग को जीत कर अग्रजिन की मूर्ति ले गया था । अतः राजानन्द जैन धर्म का अनुयायी होना चाहिये और यह नंद मौर्यों का पूर्वज था।'
३२. श्री पी० बी० देसाई ने लिखा है कि मार्कण्डेय पुराण के तेलगू अनुवाद के अनुसार आन्ध्र देश के चार क्षत्रियवंश नन्दवंश से निकले थे और नन्द कलिंग पर राज्य करता था । तथा जैन धर्म का अनुयायी था।
३३. गंग राज्य वंश बहुत प्राचीन है, उसका सम्बन्ध इक्ष्वाकुं
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१-दक्षिण भारत में जैन धर्म-पृष्ठ ६२