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( १२५ ) ५. अशोक के उत्तराधिकारी सम्प्रति के बारे में विश्ववाणी मासिक पत्रिका ने १६४१ में यह प्रकाशित किया था कि सम्राट संप्रति ने अरब स्थान और फारस में जैन संस्कृति के केन्द्र स्थापित किये थे।
६. महाप्रतानी एवं सम्राट महामेघ वाहन खारवेल महाराज जैन थे।
७. दक्षिण भारत के इतिहास पर दृष्टि डालने से ज्ञात होता है कि प्रतापी नरेश तथा गंगराज्य के संथापक महाराज को गुणीवर्मन ने आचार्य सिंहनंदि के उपदेश से शिवमग्गा के समीप एक जिन मन्दिर बनवाया था।
८. महाराज कोगुणी के वंशज अविनीत नरेश ने अपने मस्तक पर जिनेन्द्र भगवान की मूर्ति विराजमान कर कावेरी नदी को वाढ़ की अवस्था मे पार किया था । . ६. महाराज नीतिमार्ग और बूतग जिन धर्म परायण राजा
थे।
१०. महाराज मारसिंह गंगवंश के शिरोमणि पराक्रमी, निर्भीक, धार्मिक जैन नरेश थे।
११. पांचवी सदी में कदंव नरेश वर्मा और उनके पुत्र रवि वर्मा अपने पराक्रम और जैन धर्म के लिये प्रख्यात थे।
१२. राष्ट्रकूट वंश में जैन धर्म की विशेष मानता थी । सम्राट अमोघ वर्ष जिनेन्द्र भक्त, विद्वान, पराक्रमी, पुण्यचरित्र तथा व्यवस्थापक नरेश थे । इसी वंश में बंकेय, श्री विजय, नरसिंह आदि अनेक पराक्रमी जैन प्रतापी पुरुष हुए हैं ।
१३. धारवाड़, वेलगांव जिलों में शासन करने वाले महामंडलेश्वर नरेशों में महान योद्धा नरेश पृथ्वीराज, शान्तिवर्मा, कलासैन, कन्नेकर, कीर्तिवीर्य, लक्ष्मीदेव, मल्लिकार्जुन आदि जैन शासन के प्रति विशेष अनुरक्त थे ।