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________________ अष्टमी और निर्वाण कृष्णा दशमी को हुआ । निर्वाण भूमि सम्मेद शिखर है। २२. श्री नेमिनाथ, ये श्री कृष्ण के चचेरे भाई.थे। इनके पिता का नाम समुद्रविजय था तथा माता का शिवादेवी थी । जन्म स्थान शारीपुर था बाद में द्वारका नगरी में रहने लगे थे । आप का जन्म श्रावण शक्ल पंचमी को हुआ था । जूनागढ़ के राजा की पुत्री राजमती से इनका विवाह निश्चित हुआ, लेकिन जब बारात जूनागढ़ पहुंची, वहां एक बाड़े में वारात के आतिथ्य सत्कार के लिए बहुत से पशु बन्द किये गये थे, इनका वध किया । जाने वाला था। मुकुट कंगन त्याग कर गिरनार (खेतकगिरि) जी " प्रात्मध्यान में लीन हो केवल ज्ञान प्राप्त कर यहां से निर्वाण । अषाढ़ शुक्ला अष्टमी को हुआ । २३. श्री पाश्वनाथ का जन्म वाराणसी (काशी) नगरी में हुआ, पिता अश्वसन तथा माता बामादेवी थी। आपका जन्म पौष कृष्णा दशमी और निर्वाण श्रावण शुक्ला अष्टमी को हुआ। निर्वाण सम्मेद शिखर पर हुआ। २४. महावीर स्वामी, पिता राजा सिद्धार्थ, माता त्रिशलादेवी जाति ज्ञातृवंशी क्षत्रिय, जन्म ग्राम कुण्डग्राम (कन्डलपुर) जन्म चैत्र शुक्ला त्रयोदशी ई० पू० ५९६ बाद में श्री. वर्द्धमान । कहलाये । भगवान महावीर बड़े ही उत्कृष्ट त्यागी पुरुष थे। . निर्वाण समय कार्तिक कृष्णा अमावस्या (दिवाली) क प्रातः ई० पू० ५२७ वर्ष में पावापुरी में इन्होंने निर्वाण प्राप्त किया। सभी जैन तीर्थन्करों ने क्षत्रियकुलों में जन्म लिया, उनमें से पांच तीर्थन्करों ने तो बाल्य अवस्था में ही जिन दीक्षा ली। शेष सभी ने पैतृक राज्य का संचालन और संवर्धन किया था इन्हीं में से तीन ने तो दिगविजय करके चक्रवर्ती पद प्राप्त किया था । इनमें से श्री धर्मनाथ, अमरनाथ और कुन्युनाथ का जन्म
SR No.010239
Book TitleJain Hindu Ek Samajik Drushtikona
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Mehta
PublisherKamal Pocket Books Delhi
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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