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अन्त में, मैं अपने शोध-निर्देशक डा0 संगमलाल पाण्डेय, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, दर्शन विभाग, इलाहाबाद विश्वविधालय के प्रति AT से अभिभूत हूँ कि यह शोध-बन्ध उन्हीं के मार्गदर्शन के कारण संभव हो सका । उनका पितृवत् स्नेह मुझे सदैव प्रेरित करता रहा है। उन्होंने अपने व्यस्ततम क्षणों में भी सदैव मेरे विषय की क्षमताओं की जानकारी दी।
साथ ही, मैं उन सभी की भी हृदय से आभारी, जिन्होंने सो स शोध-प्रबन्ध के ओखन और प्रस्तुतीकरण में मिली भी रूप में सहायता प्रदान
स्थान : अलाहाबाद दिनांक : || सितम्बर, 1987
29मना कर अलाना अग्रवाल