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I. प्रमाणमीमांसा, पृ0 18.
2. न्यायावतार, सिद्वर्षि की टीका, पृ0 25.
3.
विपदः प्रत्यक्षाम् ।
प्रमाणगीमासा, 11-13. विषादः प्रत्यामिति ।।
परीक्षामुख, 2.3,
५. न्यायचिनिश्चियातिधरण, पृ0 95.
5. न्यायविनिश्चय विवरण, 13,
6.
वही, पृ० 98.
7.
वही, पृ0 90.
8.
प्रतिनियामिति परापेक्षा नितिः । "अणोति व्यापनोति जानाति" इति आक्ष आत्मा, प्राप्तायोपशाप: प्रक्षीणावरुणो परापेक्षा निवृत्तिा ता भवति ।
तत्वार्थवारिक भाग एक, 1.12-2 न्यागावतार, 1.4,
१.
प्रवरानसार, लोक ।,
पंचास्तिकायसमयसार टीका, गाथा 48.
न्यायधिनिश्चयविवरण, पृ० 95.
13.
बट्टी, पृ0 98.
14. इन्द्रियनिन्द्रियानपेमाती तव्याभिवार साकारग्रहणं प्रत्ययाम् ।
तात्यार्थवाििक, भाग एक, 1.12-1.