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________________ - [१६१ - - जैनग्रन्थ-प्रशास्त-संग्रह नरदेव नरसेन कवि ११ प्रमाचन्द्राचार्य १३२ प्रवरसेन निवडिदेव २० प्रोष्ठिल्ल नेमचन्द १२८, १३० बाण (भट्ट कवि) नरेन्द्र कीति १५, १६, २५ १२०, १२१ बालइंद (चंद) पंकयणदि (पपनन्दि) २७ ११६, १२२ पंड (पांडवसेन) बालइंदु (मुनि) १०८, १.६, ११. १२ पउमणदि बाल्मीकि १२४, १३१ १७ पपकीर्ति (पग्रसेन) भगवादास ११७ पयनन्दि (भट्टारक) ४६, १२८, १३० भगवतीदास पग्रनन्दी भगोवीदास पपसेन (पप्रकीति) भद्रमुनि ११, ३५ पविषेण (वसेन-पट्दर्षन प्रमाण ग्रन्यकर्ता) २ भद्रबाहु पहनन्द (प्रभाषन्द्र मुनि) भद्रबाहु श्रुतकेवली पहचन्द (प्रभाचन्द्र भट्टारक) १२०, १२६ भन्मह (भामह) पहचन्द गुरु (प्रमाचन्द्र) १२८ भरत कवि (नाट्यशास्त्र के कर्ता) पहससि (प्रभाचन्द्र) ११६, १२२ भामह (कवि) पहाचंद गरिमा ११२ भारवि (कवि) पहुकित्ति १२१ भारह पातंजलि (पतञ्जलि) २५ भावसेन ४१, ४३, ६७, ७७ पादपुज्ज (पूज्यपाद-देवनंदि) ८ भीमसेणु (पंडित) १०४ पाय पूज्य (पूज्यपाद) ११६ भवनकित्ति (भुवनकीति) पालित पाल्हवंम (म) (श्री पालब्रह्म) ६७,७५ मयूर कवि पुष्फवंत (पुष्पदन्त) ४, ८२, ११३ मलयकिति (मलयकीति) ६८,१०३, १०४, १५ पुष्पदंत कवि ६६ मलयकीर्ति (मलबारी) पुष्पदन्त (कवि) ८, १७, १९, २५, ३५, ३७ मलयकीति (महामुनि) पूर्णभद्र (मुनि) ५५ महाकीति पोम (-पाचार्य, पमनन्द्याचार्य) ६. महासेनमुनि (सुलोचना चरित्रकर्ता) पोमपंथि (पपनन्दि) ५७, ५६, ११२, १२५, १२६, १३४ महासेन पोमगदी (पपनन्दी) ३, १२० महिवसेण (दिल्ली मट्टारक) पोमायरिउ (पयनन्दि पाचार्य) १२८ महिन्दु (महाचन्द्र कवि) पोमसेण (मुनि) १. माएिक पंडित पोम (पपनंदि) ६. माणिक दुष प्रभाषन्न २५, ३७, १३० माणिक्कु (माणिकबन्द) २५ भूपाल कवि १६, २५ महाकाति
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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