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जैनप्रन्य-प्रशस्तिसंग्रह
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परियण-गण-यंगण-उदयभारः । सिरि-लाहासाहु गुणाण ठाणु । दिव्यराजही तिय तह तरिणय कंति । गं परम मुरिणदंहु सुद खंति ।
तह भरहह-सेएणावइ-चरियड, को मुह पबंधु गुण-भरियउ। जसहर-चरिउ जीव-दय-पोसणु, वित्तसार सिद्धत-पयासणु। जीवधरहु वि पासह परियड, विरइवि भुवरणत्तउ जस-भरिउ । भो कइ-तिलय महागुणभूसणु, सिरि अरिदनेमिह जरण-पोसणु । विरइय चरिउ मज्झ उवरोहें,
सोउं बंछमि पयरिणय मोहें। घत्ताइय खुल्लय वयणाई पोसिय जयणाई
प्रवहारिवि पंसु रयण मारिणउ । को जडु घड उल्लेखें मवइ जय विरय गुत्त
णियह ते पल्ल उ सहसकिरण पुरु कि जोइस्म ॥
तास पिउ बंभवय-धारएण,
मित्तिउं रिणसुरहिं थिरमणेण । जोइणिपुराउ उत्तर-दिसासु, तहु णिवड झुणु-झुणु पुरु पयासु । णं लच्छि हि केरउं वर विलासु, चउवण्णासिय-जण-कय-णिवासु । चउहट्ट चच्चरुद्दाम जत्थ, वंदियण वयण-कलरव पसत्य । जिरण-महिम-महोच्छव दारणसोह, सावय रिणवसहिं जहिं सुद्धबोह । जहि णिच्च ण्हवरण पावावहार, धय-अंड-दंड-राइय-विहार । जहिं धीर वियक्खरण वसहि लोय, तियसत्थ समासिय-दिव्व-भोय । तहिं मासि वरणीवर-कुल पहूउ, अग्गोयवंसु पयसार भूउ । दुव्वसण-पाव-वासरण प्रगम्म, संघाहिउ लक्खू णामु रम्मु । तहु पिय देवाही सच्चवाय । सु-पसण्ण सील गं सीय जाय । तह तखुरुह बुहयण कप्पविक्खु । पोसियउ णिच्च जिरण-समय-पक्छु ।
तहि गम्भ-उवण्णा सुह-संपुण्णा गंदण णिरुवम सोहपरा। दुक्खिय-जण-पोसणु कुलहर-भूसरण तिरिण पन्हव पलंबकरा।।४
तहं पढमउ गंदणु दुरिय-हरु, जस-बल्लि-पसर-माहार-तरु । परिवार-धुरा-धारण-धवलु, रिणग्गंध-सवरण--णुय-पय-कमलु । दाणेण पयोसिय विकुह मरणु, लोणा संघाहिउ भूरि धरणु । बीयउँ एंदणु संवेय-रिणहिं, पयरिणय गुरिणयण संदोह दिहिं । पर-पारि-परम्मुहु सपियरउँ, परियण-संघह-पलद्ध-जउं। मोदा पहिहाण गुण-णिलउँ, बुह-चिंतामणि पुरयण-तिलउं। पुणु पउमसीहुं तीयउ पसिद्ध , सम्मत्ताइयवर-गुण-समिद्ध। उन्धहि जेण जिण-समय पारण,
रिणवाहिय पत्त-तिभेय-दाण । पत्ता:एयाहं जि गुरुयरु जण विहियायरु, दुहियण-जण-एव-कप्पतरु लोणा जु पउत्तउ जिणपय भत्तउ, मच्छमु कुलणह दिवसयरु
इय सिरि-परिठ्ठणेमिचरिए हरिवंस-कहंतराइं गुणभरिए सिरि लाहासुम-साहुलोणा-परमणिय सेणियसमवसरण-गमणो पढमो संधी परिच्छेप्रो समत्तो ॥१॥ मन्तिममागः
जिए-सुत्त-प्रत्य-अलहंतएण, सिरि कमनकित्ति-पय-सेवएण। मइ जड़ हीणाहिर भरिणउ किपि , बुहयण सोहेप्पिणु सयलु तंपि । कायन्बु सुद् हु हरिपुराणु, जिम लोय पवट्टइ लढमाणु । सिरि-कंजकित्ति-पढेंबरेसु, तचत्व-सत्य-भासण दिणेसु ।