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वीरसेवामन्दिर-ग्रन्थमाला
तहो पुत्त वीरदासुवि गुणंगु,
जो बारह भावण अणुचितइ, पिय साधाही रूवं अणंगु ।
अप्प-सरूव भिएणु तणु मण्णा । तहो णंदणु णामें उदयचंदु,
दिउढा जसमुणि पथि पवित्तवि, पिय-माय-कुमुयवणणाइ इंदु ।
काराविउ हरिवंसु-चरित्तुवि ।। तुरियउ एंदणु डूमासयत्तु
पत्तापाहुलही पिय करमसिंह वुत्तु । जामहिं णहु सायरु चंदु दिवायर ता णंदउ दिउढा हु कुलु पत्त
जे विण्हुहि चरियउ कुरु-वंसह सहियउ काराविउ हय-पाव एयाहिं मज्झि णंदणु तइयो, दिउचंद साहुहिं कि वरिणज्जइ।
इय हरिवंसपुराणे कुरुवंस-साहिट्ठिए विबुह-चित्ता दिउढाणामें सुद्धमणु सिह सुदसणु इव जाणिज्जइ । रंजण-मिरिगुणकित्ति-सीसु मुणिजसकित्ति-विरहए साधु अरहंतुवि एक जि जो मायइ,
दिउढाणामंकिए णेमिणाह-जुहिटिर-भीमाज्जुण-णिब्वाण ववहार सुद्धा भावह।
गमण (तहा) णकुल सहदेव सब्वट्ठसिद्धि-गमण-वण्णणं जो तियाल रयणत्तउ अंचह,
णाम तेरहमो सग्गो समत्तो ॥ संधि १३॥ चउणिोय रुह-कहव ण मुच्चइ ।
(लिपि सं. १६४४ पंचायती मंदिर दिल्ली शास्त्र भंडारसे चउविह संघहं दाणु कयायरु,
२३-जिणरत्ति कहा (जिनरात्रिव्रत कथा) मंगल उत्तम सरण विणय-परु । जिणवरु थुइवि तिकालहिं अंचइ,
भट्टारक यशःकीर्ति
आदिभाग:धणु ण गणेइ धम्म-धणु संचह । जो परमेट्टि पंच आराहइ,
पणविवि सिरिमंतहो अइसय-जुत्तहोवीरहो नासिय-पावमलु पंचवि इंदिय-विसयई साहह ।
गिच्चल मण भब्वहं विलिय-गन्वहं अक्खमि फुड जिण जो मिच्छत्त पंच अवगण्णा,
रत्ति फलु पंचम गइ णिवासु मणि मण्णा ।
परमेट्ठि पंच पणविवि महंत, जो अणुदिणु छक्कम्म णिवाहइ,
तइलोय णमिय भव-भय-कयंत । दाण-पूय-गुरु-भसिहि साहह ।
जिण-चयण-विणिग्गय दिव्ववाणि, जो छज्जीव-निकायह रक्खइ,
पणमेवि सरासइ सहखाणि । छह दम्वहं गुण-भाव गिरक्खा ।
णिग्गंथ उहय-परिमुक्क-संग, सत्त-तच्च जो णिच्चाराहा,
पणवेवि मुणीसर जिय-अणंग। सत्त-वसण दूरेण पमायह।।
पणविवि णियगुरु पयडिय-पहाउ, सत्तवि दायारह गुणजुत्तड,
फलु अक्खमि जिणरतिहि जहाउ । इह परसत्त भयहं जो चाड ।
अन्तिमभाग :अट्ठ मूलगुण जो परिपाला,
णिसुणिवि गोयम भासिउ पिराउ, उत्तर गुण सयल वि संभाला।
बउ गहिउ झत्ति मणि करि विराउ | सदसण-अटुंग-रयण-धर,
जिणु बंदिवि तह गोयमु गणेसु, मज्ज-दोसु परिवज्जण-तप्पर ।
णिय णयह पत्तु सेणिउ गरेसु । एव णव णयवि पयत्थई बुज्मा ,
दह-तिउण वरिसि विहरिवि जिणेंदु, दह-विह धम्मग्गहण वि रुच्चा ।
पयडेवि धम्मु महियलि अणेंदु । एयारह पडिमडं जो पालइ,
पावापुर पर मज्झिहि जिणेसु, बारह वयई णिच्च उज्जान ।
बेदिय सह उज्झिवि मुसिईसु ।