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वीरसेवामन्दिर-ग्रन्थमाला
रयणत्तय-भूसणु गुण-निहाणु,
अण्ण मणई रसमोहिय चित्तई। अण्णाण-तिमिर-पसरंत-भाणु ।
लक्षण-छद-रहिउ हीणाहिउ, गुदिज नयरि जिण पासहम्मि,
न मुणंतेण एत्थ किर साहिउ । निव संतु संतु संजणिय-सम्मि ।
तं महुँ खमहु विबुह-चिंतामणि, अह अज नियवि पासहो चरित्तु,
सत्त भंगि नय-पवर-पयासणि । अम्भत्थि वि मविय जणेहि वृत्त ।
जांतइ लोयसिहर-पुरवासहो, छंदालंकार-ललिय पयत्यु,
कमठ-महासुर-दप्प-विणासहो । पुणु पासचरिउ करि पायउत्थु ।
चउ-भासामय-सावण-चंदहो, घत्ता
अइसयर्वतहो पास-जिणंदहो। तें तहिं गुण गणहरि गोंदिज पुरवरि णिवसंतह पासहो चरिउ पत्ता
मुह-कुहर निवासिणि भुवणुब्भासिणि कुपय-कुपत्थ-कुनय-महणि अक्खर-पय सारहं प्रत्थवियारहं सुललिय छंदहिं उद्धरिउ ॥१२॥
सा देवि सरासह मायमहासइ देवयंद महुँ वसउ मणि ॥१३॥ दुबई
सिरिपासणाह-चरिए चउवग्गफले भविय जणमणाणंदे पास-जिणिंद-चरिउ जगि निम्मलु फणि-नर-सुरह गिज्जई। मणिदेवयंव-रहए महाकवे एयारसियाइमा संधी समत्ता ॥ फुड सग्गापवग्ग-फल पावणु खणु न विलंबु किज्जए॥ (मेरे पैतक शास्त्रभंडारसे सं० १५४६ की खंडित प्रतिसे) अणु दिणु जिण-पय-पोमहि नवियहं,
१५-सयलविहि-विहाणकव्व(सकलविधि-विधान-काव्य)
कवि नयनन्दी गंथ-पमाणु पयासमि भवियह ।
श्रादिभाग:नाणा छद-बंध-नीरंधहि,
धलव-मंगल-णंद-जववह-मुहलंमि सिद्धथवि, पासचरिउ एयारह संधिहिं ।
परलोय-हरिसु ब-संकमिउ-सग्गाउ जिणु । पउरच्छहि सुवण्णरस घडियहि,
जयउ पुरिम-कल्याण-कल सुव श्रह णं सिद्धि-बह-विमल दोनि सयाई दोन्नि पद्धडियहिं ।
मुत्तावलिहि णिमित्त सुह सुत्तिए ।पियकारिणिह सिप्पिहि चउवग्ग-फलहो पावण-पंथहो,
मुतिउ खित्तु ॥ सई चउबीस होंति फुड गंथहो ।
जिण-सिद्ध-सूरि-पाढय सवण, जो नरु देइ लिहाविउ दाणई,
पणवेप्पिणु गुरुभत्तिए। तहो संपज्जइ पंचई नाणइं।
णोसेस विहाण णिहाण फुड, जो पुणु वह सुललिय-भासई,
करिम कव्व मिय-सत्तिए॥ तहो पुगणेण फलहिं सव्वासहं ।
पयासिय-केवलणाण-मोह, जो पयडत्थु करे वि पउंजइ,
परामर-विंदरविंद-पबोह। सो सग्गापवग्ग-सुहु भुजह ।
वियंभिय--पाव-तमोह-विणास, जो पायब चिरु नियमिय मणु,
णमामि अहं परहंत विणास । सो इह लोइ लोह सिरि भायणु ।
णिरामय-मोक्ख णहंगण-लीण, दिणि दिणि मंदिरि मंगलु गिबाइ,
कयावि ण वडिव्य हो परिहीण । नच्च कामिणि पडदु पवज्जा ।
कलंक-विमुक्क जगत्तय-वंद, निप्पजहिं भुवि सम्वई सासई,
णमामि सुसिद्ध प्रणोवम चंद। दुहु-दुभिक्खु-मारि-भउ नासहं।
अलंध महंत खमासुणि सरण, अण्णु विजं मइंकब्बु करतई,
अथग्य-महारयणावलि-पुषण ।