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________________ १६४ विर-सेवा-मन्दिर ग्रंथमाला ४६ १२७ विहगसेन १०३ विहराज १३,९८ विहारी १० वातशामक ११६ १०५ १४ वीरमदेव ५५,५७ वीरसेन विक्रमोर्वशीय नाटक २७,३८ विश्वनंदी विजयकीति (मुनि) ६५ विश्वभूषण विजयगढ (बयाना) ६६ टि. विश्वामित्र (गोत्र) प०१-१३६ विजयपाल नरेश प०१-१३६ विश्वेश्वर (पुत्र पेदिभट्ट) विजय पालाही १२३ विसन्धर (राजा) विजयसिंह विजयसिरि वित्तसार (ग्रन्थ) विदेह (उत्तर विहार) वीतशोका नगरी विदेहक्षेत्र वीर कवि ३३,५३,५६,६०,९५,११२ विद्याधर (जोहरापुरकर) वीरचन्द्र ६३ १०२-१३७ विद्यानंदि ६३,१२८ वीरजिन प०३-१५१ विद्यापति विद्य च्चर विद्युन्माली ५६,५७ वीसलदेव विनयचन्द (मुनि) ३४,७०,११६,११७,११८,११६ वीसलदेवरासो विनयचन्द्र सूरि ११७,११८ वीरसिंह विनोदीलाल (अग्रवाल कवि) १२६ टि० वीरसूरि विपुलकीति (मुनि) ८७ वीरा (पत्नी पसिंह) प०२-१३७ विपुलाचल ५६ वीरादेवी प०३-१३७ विम्बसार (श्रेणिक राजा) ५४ वील्हा साहु विबुधश्रीधर ८३,१०६ वील्हादेवी (माता कवि हरिचन्द) विभीषण ४३ बीसल साहु विमलकीर्ति ११८,११९ १० १२,१४१,१४२ वूकेक (श्रावक) विमलचन्द्र (पुत्र साहु नेमचन्द) प०३-१३७ वैराग्य सार २७ विमलमती ६८ वृत्तसार विमलसिरि ११७ वृषभनन्दी विमलसूरि १०,४२ वृन्द (कवि) विमलसेन (गणधर) ७२,१९४ व्रात्य १२ बिलरामपुर व्यास ६८,७२ विलासवती ५४,८५ शंकर संघवी १२२ बिल्हण सेठ शत्रुजय (तीर्थ) ७६,१२४ विशालकीति (भट्टारक) ८८,१३० शम्भूनापसिंह २२ विष्णुनंदी ४६ शमसुद्दीन अल्तमश (बादशाह) प. ३-१२६ विश्वनाथ (कविराज) १६,३१ शशिशेखर राजा १४ १३४ ४६ १७
SR No.010237
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages371
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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