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होर चेनन मानहु सीख हमारी कि हांजू ॥ दन विधि धर्म गही मुनि नायक राग्वट्ट चित्त विचारी कि हां ॥ १५॥ सोलह कारण भावन भावी जाप्य अपी नमो. कारी कि हांजू ।। तीन रतन को हार बनाया मा अपने उरधारी कि हांजू ॥ १६ ॥ श्रावक व्रत पन विधि पाला जनम जनम हितकारी कि हांज ॥ जाय यरी शिय सुन्दरि नारी मानहु सीब हमारी कि हांज ॥ १७॥ संवन् सनरास तेनालिम फागुन तेरस जारी किदांज।। लाल पिनांदी चोरी गावत भूलहि लेख मुधारी शि हांजू ॥ १८ ॥
(२) (चाल "हांजू वन्दना मुंटन आदिमें) श्रीभगवन्त भजी अतिशय चुन छयालीमों गुणकारी कि हांज ॥ टेक ॥ दस जन्मत दम केवल अतिशय चौदह सुरक्रन भारी कि हांज । मधिर सफेद पसंद सुमल बिन मुभग स्वरूप अपारी कि हांजू ॥१॥ वन वृषभ नाराच संहनन सम चतुपक अधिकारी किगंज।। देह सुगन्ध सहस इक लक्षण यल है अपरम्पारी कि हांजू ॥२॥ मधुर वचन ये दस अतिशय जिन राज जन्म अवतारी कि हांजू ॥ सा याजन वाभन नही आकाश गमन हिनकारी कि हांसब जीवन