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वाती मडरही दिन अरु रात. ये हो को रहौ हरिया लैंनिकरौ. रथ ठाडौ करो भगवान. कैसी करों कहां जाऊं मोरी गुइया.
तुम सुनियो हो दीन दयाल. शास्त्र सभा के समय ॥
अब के हो भजलो भगवान. सुनलो अव श्रावक तनौ व्रत. अपनौ रूप निहारियो. देव धरम गुरुको भजौ हो. चेतन अव निज कारज जानौ. भले भज नामारे पंच परमेष्ठी देवा.
चेतन अपनी सुरत सम्हारो. श्रावण ॥
वालपनै प्रभु घर रहो.