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________________ ज्ञान, केवल दर्शन सहित मोक्ष नगर में विदेह मुक्त विराजमान है । श्राप सर्व देखते हैं सर्व जानते हैं। आप प्रभु से कोई बात छिपी नहीं है ऐसे सिद्ध परमात्मा को मेरा नमस्कार होवो। नमोपायरीयाणं-प्राचार्यजी को मेरा नमस्कार हो । प्राचार्य महाराज कैसे हैंज्ञानाचार्य-दर्शनाचार्य-तपाचार्य-चारिताचार्य बीयार्चाय ये पांच श्राचार्य श्राप पाले, श्रीराने पलावे, पालता हुबाने भला जाणे । प्राचार्य: मर्यादा में रहने वाले उन आचार्यजी को मेरा नमस्कार हो । __नमो उवझायाणं-उपाध्यायजी को मेरा नमस्कार हो । उपाध्यायजी कैसे हैं श्राप ज्ञान पड़े, दुसराने पढ़ावे, पढ़ता हुवाने भला जाणे
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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