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________________ ॥अथ श्री नवकार मंत्र॥ नमो अरिहन्ताणम्-अरिहन्त प्रभु को नमस्कार होवो।अरिहन्त प्रभु कैसे हैं के ज्ञाना वरणी-दर्शनावरणी मोहनी अन्तराय कर्म ये चार कर्म रूपी शत्रु को जीतकर केवल ज्ञान, केवल दर्शन सहित माहाविदेह क्षत्र में जीवन मुक्त बिराजमान हैं वे सर्व देख सर्व जाणे श्राप (प्रभु ) से कोई बात छिपी नहीं हैं ऐसे प्रभु को बारम्बार नमस्कार करता हूं। (सिद्ध) नमो सिद्धाणम्-सिद्ध प्रभु को नमस्कार होवो । सिद्ध प्रभु कैसे हैं के ज्ञानावरणीय दर्शनावरणीय-वेदनीय,मोहनीय-श्रायुष्य-नाम गोत्र अन्तराय ये आठ कर्म क्षयकर केवल
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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