________________
गाहण अटल लहाहो ॥ आउ : करन श्री जिन राय ॥९॥ श्री० ॥ नाम. करम नौ क्षे करीहौ ।। अमूर तिक कहाय ॥ अगुर लघुपण अनुभव्याही ।। गौत्र करम मुकाया।६।। श्री ॥ आठ गुणा कर आलष्याहो ॥ जात रूप भगवत॥ विनचंद के उरबसौ हौ ॥ अह निस प्रभु पुष्पदंत ॥ ७ ।। इति ॥९॥
. ढाल | जिंदवारी देशी॥ - श्री दृढस्थ नृपतो पितानिँदा-थारी माय। रोम रोम प्रभुमो भणी सीतल नाम सुहाय ||जय जय जिन त्रिभुवन धणा॥ करुणा निध करतार.।। सेव्यां सुर तरु जेहवो ॥
बछित सुख दातार ॥ २ ॥ जय० ॥ प्राण * पियारो तू प्रभु पति भरतापति जमालगन निरतर लगरही ॥ दिन दिन आधेको प्रेम