SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "१५ || जय || ३|| सीतल चंदन नीपरें जपता तिस the दिन जाप || बिषै कषायना ऊपने ॥ मेटौ 1 भव दुखताप ॥ ४ ॥ जय० ॥ आरतं रुद्र प्रणाम थी उपजै चिंता अनेक।। ते दुख कापो मानसी || आप अचल बिबेक ||५|| जय || रोगादिक क्षुधा त्रिषा ॥ सब सत्र अख प्रहार सकल सरीरी दुखः हरौ ॥ दिलसँ बिरुद बिचार ॥ जय ॥ ६ ॥ सुप्रसन होय सीतल प्रभु तू आसा बिसराम || बिनेचंद कहै गो भणी दीजै मुक्ति मुकाम ॥ ७ ॥ जय जय जिन त्रिभुवन धणीः सेव्या सुरतरू जेहवौ ।। बँछत सुख दातार ॥ जय० ॥ इति ॥ १ ॥ ॥ इ ढाल || राग काफी देसी होरी की मा चेतन जाण, कल्यांण करन कौ ॥ आन मिल्यो अबसररे.. साख प्रमान पिछान प्रभू
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy