________________ 202 जैनधर्मामृत अणु और स्कन्धकी उत्पत्तिका कारण भेदात्तथा च संघातात्तथा तदुभयादपि / उत्पद्यन्ते खलु स्कन्धा भेदादेवाणवः पुनः // 18 // स्कन्धोंकी उत्पत्ति भेदसे, संघातसे तथा दोनोंसे होती है। किन्तु परमाणुओंकी उत्पत्ति तो भेदसे ही होती है // 18 // भावार्थ-स्कन्धोंकी उत्पत्ति, महास्कन्धके भेदसे, या छोटे स्कन्धोंके समुदायसे अथवा बड़ेके भेद और छोटेके समुदाय इन दोनों निमित्तोंसे होती है, परन्तु अणुओंकी उत्पत्ति स्कन्धोंके भेदसे ही होती है, क्योंकि पुदलके सबसे छोटे टुकड़ेको अणु या परमाणु कहते हैं। अजीव तत्त्वकी विशेष जानकारीके लिए तत्त्वार्थसूत्रका पाँचवाँ अध्याय और उसको सर्वार्थसिद्धि और राजवार्तिक टीकाको देखना चाहिए। इस प्रकार अजीवका वर्णन करनेवाला अष्टम अध्याय __समाप्त हुआ।