________________ 20 अष्टम अध्याय का उपकार कहा गया है। शरीर, वचन, श्वास, उच्छ्वास और मन ये पुद्गलोंका उपकार है, तथा सुख-दुःख, जीवन और मरण ये भी पुद्गलोंका उपकार है, तथा सुख-दुःखादिक जीवोंके भी उपकार जानना चाहिए। परस्परमें जो गुरु शिष्यका, स्वामी-सेवकका उपकार है, वह भी जीवोंका उपकार कहा जाता है। द्रव्योंके परिवर्तनमें सहायक होना यह कालद्रव्यका उपकार है / / 12-14 // ...पुद्गलकी निरुक्ति / .... भेदादिभ्यो निमित्तेभ्यः पूरणाद गलनादपि / . पुद्गलानां स्वभावः कथ्यन्ते पुद्गला इति // 15 // यतः पुगल द्रव्य भेद-संघात आदि निमित्तसे आपसमें मिलता और बिछुड़ता है, अतः वस्तु स्वभावके ज्ञाता जिनेन्द्रदेवने उसे पुदल कहा है // 15 // . : ... ... ... ... ... ... .. पुद्गलके भेद - अणु-स्कन्धविभेदेन विविधाः खलु पुद्गलाः / ... स्कन्धो देशः प्रदेशश्च स्कन्धस्तु त्रिविधो भवेत् / / 16 / / __ अणु और स्कन्धके भेदसे पुद्गल दो प्रकारके हैं / इनमें स्कन्ध के तीन भेद हैं-स्कन्ध, देश और प्रदेश // 16 // स्कन्ध आदिका स्वरूप अनन्तपरमाणूनां संघातः स्कन्ध इष्यते / देशस्तस्यार्धमर्धाधं प्रदेशः परिकीर्तितः // 17 // अनन्त परमाणुओंके समुदायको स्कन्ध कहते हैं / उस स्कन्ध के आधे भागको देश कहते हैं और उसके भी आधे भागको प्रदेश कहते हैं // 17 //