________________ अष्टम अध्याय 11.1 द्रव्य रूपी कहलाता है और इन रूपादिकके अत्यन्त अभावसे शेष पाँच द्रव्य अरूपी कहलाते हैं // 5 // द्रव्योंकी एकता-अनेकता .. धर्माधर्मान्तरिक्षाणां द्रव्यमेकत्वमिष्यते / काल-पुद्गल-जीवानामनेकद्रव्यता मता // 6 // धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाश ये तीनों ही एक-एक अखण्ड द्रव्य हैं / काल, पुद्गल और जीव ये पृथक्-पृथक अनेक द्रव्य हैं // 6 // द्रव्योंकी निष्क्रियता-सक्रियता धर्माधमौ नभः कालश्चत्त्वारः सन्ति निष्क्रियाः / ___ जीवाश्च पुद्गलाश्चैव भवन्त्येतेषु सक्रियाः // 7 // - धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश और काल ये चार द्रव्य क्रिया-रहित हैं इसलिए ये निष्क्रिय कहलाते हैं। जीव और पुद्गल ये दो द्रव्य क्रिया-सहित हैं, इसलिए सक्रिय कहलाते हैं // 7 // - . द्रव्योंके प्रदेशोंकी संख्या एकस्य जीवद्व्यस्य धर्माधर्मास्तिकाययोः। . असंख्येयप्रदेशत्वमेतेषां कथितं पृथक् / / 8 / / . संख्येयाश्चाप्यसंख्येया अनन्ता यदि वा पुनः / पुद्गलानां प्रदेशाः स्युरनन्ता वियतस्तु ते // 6 // कालस्य परिमाणस्तु द्वयोरप्येतयोः किल / एकप्रदेशमात्रत्वादप्रदेशत्वमिप्यते // 10 // ... एक जीवद्रव्यके तथा धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकायके, .