________________ ध्याय . ... ... अजीवतत्व ... . . धर्माधर्मावथाऽऽकाशं तथा कालश्च पुद्गला.. - ... अजीवाः खलु पञ्चते निर्दिष्टाः सर्वदर्शिभिः // 1 // . : धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश, काल और पुद्गल ये पाँच अजीव पदार्थ सर्वदशी जिनभगवान्ने.कहे हैं // 1 // ................... प दव्य .... ....... - एते धर्मादयः पञ्च जीवाश्च प्रोक्तलक्षणाः / ... .. : पट द्रव्याणि निगद्यन्ते द्रव्ययाथात्म्यवेदिभिः // 2 // . . . ..' . ये धर्मास्तिकाय आदि पाँच अजीव पदार्थ और “पहले जिनका लक्षण कह आये हैं, वह जीवपदार्थ, ये छह द्रव्य द्रव्योंका यथार्थ स्वरूप जाननेवाले जिनेन्द्र भगवान्ने कहे हैं // 2 // .. . . . . . . . . . . . . . पचास्तिकाय .''पारिक . . . : . . विना कालेन शेपाणि द्रव्याणि जिनपुङ्गवः / - पञ्चास्तिकायाः कथिताः प्रदेशानां बहुत्वतः // 3 // उपर्युक्त छह द्रव्योंमेंसे कालके विना शेष द्रव्योंको जिनेन्द्रदेव ने पञ्चास्तिकाय कहा है, क्योंकि, इन पाँचों द्रव्योंके प्रदेश बहुत पाये जाते हैं // 3 // .. .. . . . भावार्थ-आकाशके जितने भागको पुद्गलका एक अविभागी अंश परमाणु रोकता है, उसे प्रदेश कहते हैं। इस प्रकारके