________________ . .. सप्तम अध्याय 165 रहित है, लोक और अलोकके अवलोकन करनेवाले हैं, क्षायिक अतीन्द्रिय ज्ञानके धारक हैं, अष्ट कर्मोंको नष्ट कर चुके हैं और तीन जगत्के ईश्वर हैं, ऐसे सिद्ध भगवान् मुक्त जीव कहलाते हैं // 16 // .. जीवोंके विस्तृत भेद-प्रभेद आदि जाननेके लिए पञ्चसंग्रहका. . प्रथम प्रकरण, गो० जीवकाण्ड और तत्त्वार्थसार देखना चाहिए। ... इस प्रकार जीवतत्त्वका. वर्णन करनेवाला सातवाँ अध्याय समाप्त हुआ।