________________ ध्याय तत्त्व जीवोऽजीवात्रवौ बन्धः संवरो निर्जरा तथा / मोक्षश्च सप्त तत्त्वार्था मोक्षमार्ग पिणामिमे // 1 // . मोक्षमार्गके इच्छुक जनोंके हितार्थ श्री जिनेन्द्र भगवान्ने जीव, अजीब, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ये सात ___ तत्त्व अर्थात् प्रयोजनभूत पदार्थ वर्णन किये हैं // 1 // .. सातो तत्त्वोंकी उपयो . . . . उपादेयतया जीवोऽजीवो हेयतयोदितः / हेयस्यास्मिन्नुपादानहेतुत्वेनास्त्रवः स्मृतः // 2 // हेयोपादानरूपेण बन्धः स परिकीर्तितः। संवरो निर्जरा हेयहानहेतुतयोदितौ / हेयप्राणरूपेण मोक्षो जीवस्य दर्शितः // 3 // .. मोक्षमार्गके जिज्ञासु जनोंके लिए उपादेयरूपसे आदिमें जीव. को और हेयरूपसे तदनन्तर अजीवको कहा है। हेयरूप अजीव पदार्थका उपादान कारण होनेकी अपेक्षा तदनन्तर आस्रवको कहा है और इसी हेय अजीवपदार्थका उपादान कारण होनेकी अपेक्षा . बन्ध तत्त्वको तत्पश्चात् कहा है। संवर और निर्जरा हेय अजीव __ पदार्थके हानके कारण हैं और उपादेय जीव तत्त्वकी प्राप्तिके