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तप का उद्देश्य और लाभ
बंधुओ ! एक व्यक्ति आम का वृक्ष लगाता है, उसकी खूब सेवा और सार-संभाल करता है, रातदिन उसकी देखरेख करता है, कोई उससे पूछे कि भाई, आम की इतनी सेवा कर रहे हो -आखिर किसलिए ? वह उत्तर देता है कि "समय पर आम पकेगा, वीर आयेगा और मीठे-मीठे फल लगेंगेउन फलों के लिए ही मैं इतना कष्ट कर रहा हूँ ।"
अब उसके पड़ोस में एक दूसरा व्यक्ति भी आम की वैसी ही सेवा कर. रहा है। उससे भी किसी ने पूछा- आप आम की इतनी देख-भाल किसलिये कर रहे हैं ? वह उत्तर देता है - " इस विशाल वृक्ष से छाया मिलेगी, कटेगा तब ढेर सारी लकड़ियाँ मिलेगी ।"
आप सोचिए - उन दोनों में चतुर कौन है और मूर्ख कौन है ? जो आम का फल चाहता है वह अथवा आम से लकड़ियां और पान -पत्ते चाहता हैं वह ? आप कहेंगे - आम से तो फल ही चाना चाहिए, छाया, पान पत्ते और लकड़ियाँ तो अपने आप ही मिलेगी । उसकी इच्छा और लालसा करने की जरूरत क्या है ?