________________
तप की परिभाषा
• आपके सामने दो वाते स्पष्ट हो जानी चाहिए कि हमारा लक्ष्य क्या है, और उस लक्ष्य को प्राप्त करने का साधन क्या है ? लक्ष्य है मोक्ष | और उसका साधन है-तप ।।
शायद तप के नाम से आप चोक उठेंगे | जैसे बच्चा सिंह का या भूत का नाम सुनकर भयभीत हो उठता है, उसके रोगटे खडे हो जाते हैं, कानो की लवें लाल-लाल हो जाती हैं, वैसे ही तप का नाम सुनकर शायद् आपकी हालत हो जाये | आप सोचेंगे-तप ? भूख मरना ? पेट पर पाटी बाधना - 'ओह ! कितना कठिन काम है ? मनुष्य तलवारो के घाव सह सकता है, वाणो की पीडा भी हँसते-हँसते सह सकता है, किंतु भूख नही सह सकता । 'भूख भूवाजी पाजी' इसीलिए तो कही गई है । इसीलिए तो हमारे यहाँ के बारठ जी कहते रहे हैं-"सर्व वात खोटो एक सिर दाल रोटी है।"
किंतु वधुओ । किसने बताया कि तप का अर्थ केवल भूखो रहना है । जिस तप के नाम से आपके कान खडे हो जाते हैं, आपको मालूम भी है वह तप क्या है ? या खाली तप को बच्चो का 'होवा' समझ रखा है। आइये,