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लक्ष्य साधना
-~-क्षमा, सतोष, सरलता और नम्रता-ये चार धर्म रूप नगर में प्रवेश करने के लिए द्वार हैं। जिस जीवन मे ये द्वार खुले होगे, वही धर्म-नगर मे प्रवेश कर सकेगा।
इन्ही विचारो की प्रतिध्वनि वैदिक साहित्य में भी मिलती है। महर्षि वशिष्ठ ने भी कहा है
मोक्षद्वारे द्वारपाला श्चत्वार परिकीर्तिता ।
शमो विचार सन्तोषश्चतुर्थ साधुसंगम ॥' -मोक्ष द्वार के चार द्वारपाल हैं-~-शम-(वैराग्य) विचार (ज्ञान) सतोप और साधु संगति । इन चारो की सेवा किये बिना मोक्ष नगर में प्रवेश नही हो सकता । अर्थात् ये भी मोक्ष प्राप्ति के चार साधन हैं ।
विविध दृष्टियों आप जानते हैं. जैन धर्म स्याद्वादी है, अनेकातवादी है, वह प्रत्येक विषय को अनेक दृष्टियो से सोचता है, समझता है। जैसे वैज्ञानिक लोग आजकल उपग्रह छोडकर चन्द्रमा के तरह-तरह के चित्र ले रहे हैं, अलगअलग दिशाओ के फोटू लेकर फिर सब को मिलाकर देखते हैं कि कुल मिलाकर~चन्द्रमा का रूप कैसा है ? वहा क्या-क्या है ? इसी प्रकार जैन धर्म मे अनेक दृष्टियो से विचार करके अलग-अलग बाते बताई गई हैं, धर्म के अलग-अलग चित्र प्रस्तुत किये गये हैं-~-मोक्ष के अलग-अलग उपाय बताये गये हैं--कुछ तो मैंने आपके समक्ष रखे है। कुछ और रख रहा हू किन्तु आगे चलकर फिर सब एकत्रित हो गये हैं। जैसे सब नदियां एक समुद्र मे मिल जाती हैं । उत्तराध्ययन सूत्र में बताया है
तस्सेस मग्गो गुरु विद्धसेवा
विवज्जणा बालजणस्स दूरा।
१ योगवाशिष्ठ ११५६