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जैन धर्म मे तप
वीज और वर्षा की जरूरत रहती है-जैसे उक्त वस्तुओ के विना उनके काम पूरे नही हो सकते न सीरा बन सकता है, न प्रकाश हो सकता है, न व्यापार हो सकता है, न मशीन चल सकती है, न ज्वर मिट सकता है, न लेख कविता लिखे जा सकते हैं और न खेती हो सकती है, उसी प्रकार ज्ञानदर्शन और चारित्र के विना मोक्ष नही मिल सकता, कर्म ज्वर का नाश नही हो सकता, ज्ञान का सम्पूर्ण प्रकाश नही हो सकता, सद्गुणो की पूर्ण खेती नही हो सकती । भाव यही है कि ज्ञान-दर्शन और चारित्र इन तीनो के मिलने से ही मोक्ष या मुक्ति मिल सकती है ।
चार मार्ग • इन्ही तीन मार्गों का विस्तार करके कही-कही मोक्ष के चार मार्ग भी वताये गये हैं
दानं च शील च तपश्च भादो, धर्मश्चतुर्धा जिनवांघवेन । निरूपितो यो जगतां हिताय,
स मानसे मे रमतामजस्रम् । दान, शील, तप और भाव-ये चार मोक्ष के मार्ग हैं, धर्म के अग हैं, भगवान ने ससार के कल्याणार्थ इनका निरूपण किया है।
उत्तराध्ययन सूत्र के मोक्ष मार्ग अध्ययन में भी मोक्ष के ये ही चार मार्ग बताये हैं
नाण च दंसणं चेव चरित्तं च तवो तहा।
एस मग्गु त्ति पन्नत्तो जिणेहिं वरदसिंहिं ॥२ -ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप--श्रेष्ठ ज्ञानी प्रभु ने मोक्ष के ये चार मार्ग बताये हैं । इन चारो का अनुसरण करके,इन मार्गों पर चलकर आत्मा मोक्ष मजिल तक पहुंच सकता है ।
वधुओ ! ये चार मार्ग ऐसे हैं, जिनमे कही बीच मे कोई घुमाव नही, नदी-नाले और घाटियां आदि नही, एक प्रकार के राजमार्ग हैं ये । हाँ,
१ शातसुधारस भावना (आचार्य विनय विजयजी) २ उत्तराध्ययन २८।२