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परिवर्धन
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. प्रस्तुत ग्रंथ के आलेखन के समय कहीं-कहीं संक्षेप करना आवश्यक समझा गया, कहीं-कहीं पुस्तकाभाव से विस्तृत संदर्भ प्राप्त न हो पाये- इस प्रकार कई कारणों से कुछ स्थानों पर, कुछ महत्वपूर्ण संदर्भ जो कि तप के - विषय में विशेष ज्ञातव्य थे, रह गये। पुस्तक को सर्वांग बनाने की दृष्टि से कुछ ग्रथों का पुनः अवलोकन कर उन संदों को प्राप्त किया गया है जो यहां परिवर्धन शीर्षक से परिशिष्ट में दिये जा रहे है ।
-संपादक ]
१. तप (मोक्षमार्ग) का पलिमंथु : निदान इस प्रकरण में पृष्ठ ११२-११३ पर रानी चेलना का प्रसंग है । उसी संदर्भ में निदान के नौ भेद वताये गये हैं, जो विस्तार भय से प्रारंभ में छोड़ दिये गये थे, किन्तु वे विशेष मननीय होने से यहां ससन्दर्भ पढ़िए :
निवान के नौ भेद :(१) एक पुरुष दूसरे समृद्धिशाली पुरुष को देखकर वैसा बनने का नियाणा
करता है।