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परिशिष्ट २.
अति स्निग्ध आहार करने से विषय कामना उद्दीप्त हो उठती है। प्रायश्चित्त : ४१ .. पावं हिंदइ जम्हा पायच्छित्तंति भण्णइ तेणं ।
-पंचाराक सटीक विवरण १६।३ . जिसके द्वारा पाप का छेदन होता है, उसे प्रायश्चित्त कहते हैं । . ४२ प्रायः पापं विनिर्दिष्टं, चित्तं तस्य विशोधनम् ।
-धर्मसंग्रह ३ अधिकार प्रायः शब्द का अर्थ 'पाप है, और चित्त का अर्थ है, उस पाप का शोधन करना । अर्थात् पाप को शुद्ध करने वाली क्रिया को प्रायश्चित्त कहते हैं।
अपराधो वा प्रायः, चित्त शुद्धिः प्रायस चित्त प्रायश्चित्तं- अपराध-विशुद्धिः ।।
-राजवातिक ६।२२।१ अपराध का नाम प्राय: है और चित्त का अर्थ गोधन है। प्रायश्चित्त अर्थात् अपराध की शुद्धि।
प्रायइत्युच्यते लोकस्तस्य चित्तं मनो भवेत् । तच्चित्त-ग्राहकं कर्म, प्रायश्चित्तमिति स्मृतम् ।
-प्रायश्चित्त समुच्चय प्राय: का अर्थ लोक-जाता है एवं चित्त का अर्ध-मन है । जिस किया
के द्वारा जनता के मन में आदर हो, उस क्रिया को प्रायश्चित्त कहते हैं। ४५ पायच्चित्त करणेणं पाव कम्म विसोहि जणयइ, निरक्ष्यारे यावि
भवइ । सम्मं च गं पायचित्तं पडिवजमाणे मगं च मग फलंच विसोहेश आयारं ग आयारपलं च आराहेछ ।
तरापन २६१६. प्रायश्चित करने से जीद पापों की नियुदि भारत निराधार निष ननामा पनि गीत रे सावन
न को निमं करता या परिसर- सोमासना