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रम परित्याग कर
आनार्य के कुछ शिष्य जो बोरगानी में आगामी थे, उन्होंने मानाय को विहार करने की प्रागंना ली। रमलोलुप आचार्य ने -"माही भी जाओ ! माधु का धर्म तो देना है, बेनी बही नाम मारते । फिर कांद मा दोष है ?" टालमटोल का जनर मुनार गुना मानार्थ को छोड़कर अन्य विहार फार गं। किन्तु भानावं मंत्री रमलोलुपता नही घटी। गरम स्वादिष्ट भोजन के नाम में पदकार, अपनी मा ना भूल गरे । पर दूध, दही, पीपीत आहार माने नोग आपसे पारण देगाधना
माटो नगे । आनुमपूर्ण कार में जनी नगर में मर बन गई। जब शान में उन्होंने अपना पूर्व जन्म पानी में कहा नाना --- गोला ! सोमनाया जाना मा वि मादा में रहता हो कोई देगानिज इन्द्र बनता ! योनि में विकास किया तो को जो गई मोतु मेरे कारण अब जार मा लोकर པས ''' ཨཱ་པཱ ཎ } པ མfry པ ' ' it #1 : ཚེ :11 Franान निमा में प्रविष्ट र मोहीयाना । माधान मारा दिन मामीनपा TE गोलोर जिला बार निकाय ?
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