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जैन धर्म में तप : स्वरूप और विश्लेषण
मनीषी मुनिवरों की दृष्टि में
श्रमणमघ पो द्वितीय पपर --आचार्य श्री आनंद ऋपि जी महाराज
तर जीवन के अभ्युत्थान का मार्ग है। उसमें बाम गित तो होती ही है, व्यक्ति का पारिवारिक सामायि, एव गप्टी जीवन भी नमुमत एव भक्तिसम्ममा बना है।
उप फे विषय पर श्री मरमसमरीजी म. गेम गीन विदेगन प्रस्तुत किया है. या देयने में नामा मापर मर दिया है।
हिसानु में लिए मा पर य? in fire रोगीमा