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स्कंधे में १२ भिक्षू प्रतिमानों का वर्णन है । यहां प्राप्त कम के अनुसार एन तपः कमों की संक्षिप्त परिभाषा बताई जाती है
नगणन तप
प्रतिमाएं - प्रतिमाएँ अनेक प्रकार की है, किसी प्रतिमा में तप के साथ ध्यान एवं कार्य का भी विधान है वे प्रायः ध्यान प्रधान ही होती है, कुछ प्रतिमाओं में प्रणः आहार का त्याग व भिक्षा में बहार को यति का नियम रहता है ।
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भिक्षु प्रतिमा- भिक्ष के द्वारा विविध प्रकार के अभिग्रहों के साथ तप का नागरण करना प्रतिमा कहलाता है। ये प्रतिमाएं बारह है। इनमें ध्यान व का भी साथ में चलता है ।
(६) मातिको प्रतिमा - यह पहली प्रतिमा है- इसका समय एक मात का है । एक मान तक भिक्षु एक दत्ति भोजन की ओर एक यति पानीको नई ग्रहण करता है। दति से अभिप्राय है-मतत धारा । चाता भोजन देना प्रारम्भ करता है और जब तक हम चीन में नहीं टूटता यह एक दि कहलाती है । यदि एक ग्राम एक बूंद जल देकर मेन में द्वारा टूट तो यह एक दति हो गई। उसमें दुबारा नहीं लिया जाता। प्रतिमाधारी मुनि गत ध्यान में कामें लीन रहता है। सिर्फ एक बार भिक्षा का समय होने पर भिक्षा जाता है। उनमें भी कठोर नियम रहता है, नियम के साथ यदि बहार मिले तो में नहीं तो बिना ए मोट बाता है। इस विस्तार के साथ कप में बताये गये है।
(२) हिमासिक प्रतिमा-प्रतिमा में मि आहारको यो यति न की जाती है, विमान
भागोजीना
पंचनामे
में गामात पनि सकी शती है।
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में परवार पति
पिक में हर पति म मानि
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