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उत्तम मंगल
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवझायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।
-भगवती सूत्र १ अरिहन्तों को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्वसाधुओं को नमस्कार ।
एसो पंच णमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं ॥
-आवश्यकमलयगिरि खण-२०१ इन पाँचों पदों को किया हुआ यह नमस्कार सभी पापों का नाश करनेवाला है। संसार के सभी मंगलों में यह प्रथम (मुख्य) मंगल है।
चत्तारि मंगलं, अरिहंता मंगल, सिद्धा मंगलं, साहू मंगलं केवलिपन्नत्तो धम्मो मंगलं ।
-आवश्यक सूत्र अ०४ मंगल चार हैं-अरिहन्त, सिद्ध, साधु और केवल-प्ररूपित धर्म।
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