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प्रात्म-स्वरूप
अत्थि मे आया उववाइए"" से आयावादी, लोयावादी. कम्मावादी, किरियावादी।
-आचारांग १३१३१ यह मेरी आत्मा औपपातिक है, कर्मानुसार पुनर्जन्म ग्रहण करती है" आत्मा के पुनर्जन्मसम्बन्धी सिद्धान्त को स्वीकार करनेवाला
ही वस्तुत आत्मवादी, लोक्वादी, कर्मवादी एव क्रियावादी है । २. जे लोगं अब्भाइक्खति, से अत्ताणं अब्भाइक्खति । जे अत्ताणं अब्भाइक्खति, से लोग अब्भाइक्खति ।।
-आचारांग १३१३३ जो लोक (अन्य जीवसमूह) का अपलाप करता है, वह स्वयं अपनी आत्मा का भी अपलाप करता है। जो अपनी आत्मा का अपलाप करता है, वह लोक (अन्य जीवसमूह) का भी अपलाप करता है ।
पुरिमा । तुममेव तुमं मित्तं, कि बहिया मितमिच्छसि ?
-आचारांग १॥३॥३ मानव | तू म्वय ही अपना मित्र है । तू बाहर मे क्यो किसी मित्र (सहायक) की खोज कर रहा है ? बन्धप्पमोक्खो अज्झत्थेव ।
-आचारांग १३२ वस्तुत. बन्धन और मोक्ष अन्दर मे ही है ।