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वाणी- विवेक
३१.
मियं अट्ठ अणुवीइ भासए, सयाणमज्झे लहई पसंसणं ।
११ε
- दशवेकालिक ७।५५
जो विचारपूर्वक सुन्दर और परिमित शब्द बोलता है, वह सज्जनों में प्रशंसा पाता है ।
३२. हिअ - मिअ- अफरुसवाई, अणुवीइभासि वाइओ विणओ । - दशवैकालिक नि० ३२२ हित - मित, मृदु और विचारपूर्वक बोलना वाणी का विनय है ।