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मनोबल
१. नो उच्चावयं मणं नियंछिज्जा।
- आचारांग २।३।१ संकट में मन को ऊंचा-नीचा अर्थात् डांवाडोल नही होने देना
चाहिए। २. अदीणमणसो चरे।
--उत्तराध्ययन २३ संसार में अदीनभाव से दीनता रहित होकर रहना चाहिए। ३. संकाभीओ न गच्छेज्जा।
-उत्तराध्ययन २२२१ जीवन में शंकाओं से प्रस्त-भीत होकर मत चलो। ४. तंतु न विज्जइ सज्झं, जंधिइमंतो न साहेइ ।
-वृहत्कल्पभाष्य ११३५७ वह कौन-सा कठिन कार्य है, जिसे धैर्यवान् व्यक्ति सम्पन्न नहीं
कर सकता? ५. स वीरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति ।
-भगवती १८ शक्तिशाली (वीर्यवान्) जीतता है और शक्तिहीन (निर्वीर्य) पराजित हो जाता है।