________________
४६ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य पर्याय के कुल ६४ वर्ष मे ४४ वर्ष तक उन्होने युगप्रधान पद को अलकृत किया। उनकी सम्पूर्ण आयु ८० वर्ष की थी । ज्योतिर्धाम आचार्य जम्बू वी० नि० ६४ (वि० पू० ४०६) मे निर्वाण पद को प्राप्त हुए।"
आधार-स्थल
१ अन्यदा धारिणीस्वप्ने श्वेतसिंह न्यभालयत् ॥५७॥
(परिशिष्ट पर्व, सर्ग २) २ सुनोर्जम्बूतरोनाम्ना जम्बूरित्यभिधा व्यधात् ।।७१।।
(परिशिष्ट पव, सर्ग २) ३ माराम समोसरिय, पणमित्त पह पुरो निसनीय। हरिसियहिय ओ निसुणेइ, देसण मलियग्गकरो ॥१३॥
(उपदेशमाला विशेषवृत्ति, जम्बूचरिय, पनाक १३६) ४ गच्छतो मेऽध्वनानेन शिलोपरि पतेद्यदि। तदस्मि नाहन रथो न रथ्या न च सारथि ||१०७॥
(परिशिष्ट पर्व, सर्ग २) ५ सभणइ पपज्जाए, अणुजाणह ता मममियाणि ||१९६॥
(उपदेशमाला विशेपवृत्ति, जम्बूचरिय, पनाक १३६) सकृज्जल्पन्ति राजान सकृपजल्पन्ति साधव । सत्काया प्रदीयन्ते वीण्येतानि सकत्सकृत् ।।१२।।
(परिशिष्ट पर्व, सर्ग २) ७ चित्त न नीत वनिता विकारवित्त न नीत चतुरश्च चौर ॥२॥
दावली समुच्चय, तपागच्छ पट्टावली, पृष्ठ ४२) ८ पचमगणहारि सुहम्मसामिणा दिन्न पुन्न पध्वज्जो ॥४७॥
(उपदेशमाला विशेषवृत्ति, जम्बूचरिय, पनाक १८५) २ (क) सुय मे आयुस । तेण भगवता एवमक्खाय
(आण १११) (ख) अज्जसुहम्मो जम्बूस्वामि पुच्छत भणति-यहासुत वइस्सामि,
(श्री आचाराग चूणि, पनाक २६८) १० अपच्छिमकेवली जम्बू स्वामी
(विविध तीर्थकल्प, पृष्ठ ३८) ११ तत्पट्टे २ श्री जम्बस्वामी पोडश (१६) वर्षाणि गृहे, विशति (२०) वर्षाणि व्रते
चतुश्चत्वारिंशत् (४४) वर्षाणि युगप्रधान भावे। सर्वायुरशीति (८०) वर्षाणि प्रपाल्य थी वीराच्चतु पष्टि (६४) वर्षांते सिद्ध ।
(पट्टावली समुच्चय, श्री गुरु पट्टावली, पृ० १६३)