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ज्योतिर्धाम आचार्य जम्बू ४३
है। किसी समय जीवन-समाप्ति की प्रथम सूचना है, चेतना के जागरण का आह्वान है और श्रेयकार्य को कल पर न छोड़ने की तीन ललकार है । द्वार को पार करते समय किसी भी शस्त्र के पतन की दुर्घटना मेरे रथ पर भी घटित हो सकती है। उस समय मैं, मेरा रथ, सारथि कोई भी नहीं बच सकता। ___ जम्बू के हृदय में ज्ञान की दिव्य किरण उदित हुई। रथ वापस मुडा । आचार्य सुधर्मा के पास पहुचकर जम्बू ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत पालन की प्रतिज्ञा ले ली।
जम्बू का रथ त्वरित गति से चलता हुआ पुन घर की ओर बढा। मातापिता के पास पहुचकर जम्बू ने उन्हे प्रणाम किया और बोला-"आचार्य सुधर्मा से मैंने अध्यात्म प्रवचन सुना है। मैंने मुनि वनने का निर्णय ले लिया है। आपके द्वारा अब आदेश प्राप्त करने की प्रतीक्षा है।" ___ पुत्र की बात सुनकर ऋषभदत्त का मुख म्लान हो गया। माता धारिणी की ममता रो पडी। नयन का सितारा, कुल का जगमगाता दीप, हृदय का हार, अपार सम्पत्ति को भोगने वाला जम्बू उनका इकलौता पुत्र था। अप्सरा-सी सुन्दर आठ कन्याओ के साथ उसका सम्बन्ध पहले ही निर्णीत हो चुका था। विवाहान्तर पुन के भोग-सम्पन्न सुखी जीवन को देखने की उनकी इच्छा अत्यन्त प्रबल हो रही थी। __ मोह-विमूढ माता-पिता ने जम्बू के मस्तक पर हाथ रखकर कहा-"पुत्र । तुम ही हमारे लिए आधार हो। वार्धक्य अवस्था मे यष्टि की भाति आलम्बन हो। तुम्हारा विवाह रचकर उल्लासमय दिन देखने के हमने स्वप्न सजोए थे। वधुभो के आगमन की और पौन-दर्शन की भी आनन्ददायी कल्पना की थी। हमारी कामना को सफल करो और माठ वधुमो के साथ इस लक्ष्मी वधू का भी सानन्द भोग करो।" और भी नाना प्रकार के प्रलोभन दिए गए, पर कोई भी प्रलोभन जम्बू को मुग्ध न कर सका। उसके मानस में ज्ञान की अकप लौ जल रही थी। जनक-जननी का आखिरी प्रस्ताव था-"पुन । हम तुम्हारे इस कार्य मे विघ्न बनना नहीं चाहते, पर आठ कन्याओ के साथ तुम्हारा सम्बन्ध हो चुका है। विवाह के लिए हम वचनवद्ध है। तुम्हारे इस कार्य से उनको धोखा होगा । हमारा वचन भी भग होगा । वत्स | तुम हमेशा हमारे आज्ञाकारी पुन रहे हो। अव भी हमारी बात को स्वीकार करो। आठो कन्याओ के साथ पाणिग्रहण की अनुमति प्रदान करो, विवाह के बाद हमारी ओर से तुम्हारे मार्ग में कोई वाधा उपस्थित नहीं होगी प्रत्युत हम भी तुम्हारे साथ ही प्रवजित बनेगे।"
जम्वू जानता था-पाणिग्रहण के बाद उन आठो पत्नियो की आज्ञा आवश्यक होगी। यह विघ्न निश्चित दिखाई दे रहा था, पर माता-पिता के युक्ति-संगत कथन को इस वार वह टाल न सका। अपने साथ अभिभावक भी दीक्षित बनेगे, ~यह दुगुने लाभ की वात वणिक् पुत्र को अधिक प्रभावित कर गई। जम्बू कुछ