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इन्द्रिय-जयी आचार्य जयमल्ल
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प्राप्त हुआ। इक्कतीस दिवसीय अनशन के साथ वी० नि० २३२३ ( वि०
१८५३) वैशाख शुक्ला त्रयोदशी के दिन उनका स्वर्गवास हुआ ।
सादडी सम्मेलन के अवसर पर इस सम्प्रदाय ने गहरी सूझ-बूझ से अपना स्तित्व श्रमण सघ में विलीन कर दिया था ।
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