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मनीपा-भेर भाचार्य मलयगिरि ३२७ का नवमर प्रदान करती है दूगरी और उनकी विविध विषयों से सबंधित रोचक सामग्री हर प्रमुख मानस मे बाहाद पैदा करती है। मलयगिरि का सपूर्ण टीकामाहित्य ज्ञान का अक्षय प्रजाना है।
'मलयगिरि शब्दानुशासन' उनकी एक म्यतन रचना भी है। पर वे स्वतन्त्र पन्यकार नही, समर्थ टीकाकार थे। उनकी लेखनी टीका-साहित्य में टूट पड़ी थी। ____ महामनीपी भाचार्य हेमचन्द्र का अप्रतिन प्रभाव गनयगिरि पर था। उन्होंने अपने आचार्य हेमचन्द्र के लिए गुर गव्द पा प्रयोग पर अति सम्मान का भाव प्रयाट किया है।
टीकाकार जैनाचार्यों की परम्परा में नाचायं मनयगिरि नयंती अग्रणी स्थान पर है।
वे आचार्य हेमचन्द्र के महाविहारी थे । अत टीकार मनयगिरि का समय वि० की १२वी शताब्दी का उत्तरादं एव १३वी शताब्दी पा पूर्वाद्ध माना गया